आजसू पार्टी ने सामाजिक न्याय मार्च में भरी हुंकार, निशाने पर हेमंत सरकार

40 माह की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ आज आजसू पार्टी ने सामाजिक न्याय यात्रा निकाली। रांची के मोरहाबादी मैदान स्थित बापू वाटिका से सामाजिक न्याय मार्च हरमू मैदान पहुंची, जहां पार्टी ने एक सभा का आयोजन किया।

आजसू पार्टी ने सामाजिक न्याय मार्च में भरी हुंकार, निशाने पर हेमंत सरकार

रांची

40 माह की हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ आज आजसू पार्टी ने सामाजिक न्याय यात्रा निकाली। रांची के मोरहाबादी मैदान स्थित बापू वाटिका से सामाजिक न्याय मार्च हरमू मैदान पहुंची, जहां पार्टी ने एक सभा का आयोजन किया। सामाजिक न्याय यात्रा सात मांगों को लेकर पूरे राज्य में निकली गयी थी। जिन मांगों को यात्रा में शामिल किया गया था, उनमें • खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति लागू करो• जातीय जनगणना एवं पिछड़ों को आबादी अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करो• पूर्व में जो जातियां अनुसूचित जनजाति की सूची में थी, उन्हें पुनः अनुसूचित जनजाति में शामिल करो• सरना धर्म कोड लागू करो• बेरोजगारों को रोज़गार दो• झारखण्ड के संसाधनों की लूट बंद करो• झारखण्ड आंदोलनकारियों को सम्मान दो सभा का संबोधित करते हुए पार्टी प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री का पद लर्निंग स्कूल नहीं हो सकता। जनभावना के अनुरूप नीतियां बनाने और फैसले लेने के लिए सरकार बनती है। आधे-अधूरे प्रयोग के लिए भी सरकार कतई नहीं बनती। जिनमें कोई नेतृत्व क्षमता और विजन नहीं था उन्हें सत्ता मिली। नतीजा हुआ कि 40 महीने में राज्य को सामाजिक और राजनीतिक तौर पर बड़ी क्षति हुई है। ओबीसी, एसटी और एससी खूब छले गए हैं। इसके साथ ही सरकार की नाकामियों, दोषपूर्ण नीतियों और लूट-खसोट के रवैये पर तथ्यपूर्ण और सिलसिलेवार हमला बोला। 

किस बात की जोहार यात्रा

उन्होंने कहा कि 40 महीने की सरकार एक भी नीति स्पष्ट रूप से लागू नहीं कर सकी। ना नीति बनी और और न युवाओं को नौकरी मिली। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि जिन गुमान के साथ जोहार यात्रा पर निकले थे उसे बंद क्यों कर दिया गया और जोहार यात्रा का आधार क्या था? सच यह है कि 1932 का वादा करके 2023 लागू कर दिए। और अब 60-40 का एक नया फार्मूला आया है, लेकिन मुख्यमंत्री इस फार्मूले पर कभी चर्चा नहीं करते। इधर युवा सड़कों पर आंदोलन करने को विवश हैं। बदले में उन्हें लाठियां खानी पड़ रही हैं। निजी संस्थानों में 75 प्रतिशत स्थानीय को काम देने का कैबिनेट फैसला लिया गया लेकिन जब स्थानीय नीति ही तय नहीं हुई तो इसका लाभ किन्हें मिलेगा। झारखंड जिस दौर से गुजर रहा है उसमें साफ दिखता है और आज और कल दोनों को बर्बाद किया जा रहा।  

40 महीने की सरकार को जगाया नहीं जाता

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि सामाजिक न्याय मार्च और आंदोलन के जरिए हम सरकार को जगाने नहीं आए हैं अब सरकार को जगाने का समय खत्म हो गया है। 40 महीने की सरकार को जगाया नहीं जाता। हेमंत सोरेन को पद पर बैठने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। अब झारखंड की जनता के खड़ा होने और सरकार के काम का मूल्यांकन करने का समय है। अगले 20 महीने तक हम चौन से नहीं बैठेंगे। इस मार्च के जरिए आजसू के कार्यकर्ता संकल्प लेकर गांव-गांव जाएं, हर घर परिवार से जुड़ें। समाजिक न्याय हमारी लड़ाई का आधार है।

निकाय चुनाव नहीं होने के लिए सरकार जिम्मेदार

उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव के समय भी सरकार ने ओबीसी आरक्षण की अनदेखी की अब निकाय चुनाव में भी वही तस्वीर है सरकार ने ट्रिपल टेस्ट नहीं कराए जब कि हमने ट्रिपल टेस्ट के लिए पंचायत चुनाव के समय ही आवाज उठाई थी। पार्टी के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक गए निकाय चुनाव नहीं होने के लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है। अब सरकार को निकायों को अफसरों और बाबुओं के हवाले करने की बजाय विस्तार देना चाहिए। जातीय जनगणना और ट्रिपल टेस्ट इस राज्य की जरूरत है और हेमंत सोरेन सरकार इससे मुंह मोड़ रही है।‌ उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर आरक्षण तय करने का अधिकार राज्य सरकार को है लेकिन इसके लिए जरूरी और वैधानिक प्रक्रिया से गुजरना होगा सरकार इन वैधानिक प्रक्रिया से गुजरना होगा। लेकिन सरकार ने इसे उलझाना और अपना पॉलीटिकल एजेंडा बनाना मुनासिब समझा।