झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन की नयी रूपरेखा तैयार की, 10 मई से शुरू होगा

झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा 60_40 हकमार नियोजन नीति के विरोध अब तीन चरणों में लगातार 31 दिनों तक विभिन्न स्वरूप में आंदोलन का निर्णय लिया गया है।

झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन की नयी रूपरेखा तैयार की, 10 मई से शुरू होगा

रांची,

झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन पिछले चार महीनों से लगातार नियोजन नीति को लेकर राज्य में आंदोलन कर रही है। झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा 60_40 हकमार नियोजन नीति के विरोध अब तीन चरणों में लगातार 31 दिनों तक विभिन्न स्वरूप में आंदोलन का निर्णय लिया गया है। बीते 17,18 व 19 अप्रैल को यूनियन ने तीन दिवसीय 72 घंटे का आंदोलन किया था। अब वापस आंदोलन की नयी रूपरेखा तैयार कर आज इसकी घोषणा की गयी है। इस आंदोलन के प्रथम चरण 15 दिवसीय होगा, जिसमें समर्थन प्राप्त पत्र अभियान- 10 मई से 25 मई तक 81 माननीय विधायक और 14 माननीय सांसद को स्थानीय लोगों के सहयोग से अपना मांग पत्र पर समर्थन प्राप्त करने का अभियान चलाया जायेगा। समर्थन देने वाले विधायक सांसदों को सम्पूर्ण झारखंडी आदिवासी मूलवासी तरफ से आभार प्रकट किया जायेगा तथा समर्थन नहीं देने वाले विधायक सांसदों को सामाजिक कार्य में बहिष्कार किया जायेगा। दूसरा चरण 10 दिवसीय के माध्यम सभी प्रखंडों में बैठक कर प्राचीन पारम्परिक स्वशासन व्यवस्था महा जनजागरण अभियान के तहत समस्त झारखंड के हाट - बाजार, चौक चौराहा में नगाड़ा और सखुवा पत्ता घुमाकर राज्य के सभी सवा तीन करोड़ आदमी के दिल दिमाग और रूह में बैठाया जायेगा कि 60_40 नाय चलतो, हकमार नीति नाय चलतो। 

48 घंटे की बंदी

तीसरा चरण 9 से 11 जून को तीन दिवसीय 72 घंटे का महा आंदोलन के रूप में होगा। 10 और 11 जून को दो दिन पूरे 48 घंटा सम्पूर्ण झारखंड बंद रखा जायेगा। बंदी को सफल बनाने के लिए 9 जून को शाम 4 बजे सम्पूर्ण झारखंड के सभी प्रखंड और जिला मुख्यालय के विभिन्न चौक चौराहा में विशाल मशाल जुलूस निकाला जायेगा। छात्र नेता देवेन्द्र नाथ महतो ने बताया कि अप्रैल के आंदोलन के बावजूद सरकार ने नियोजन नीति में कोई बदलाव की सुगबुगाहट नहीं दिखी। सरकार झारखंड के तृतीय और चतुर्थ वर्गों की नौकरी हेतु विज्ञापन में झारखंड शब्द का जिक्र नहीं कर रहा है, एसे मे 3 से 4 लाख रिक्त सरकारी पदों में बाहरी लोग स्थापित हो जायेगा और झारखंड का सरकारी तंत्र गुलाम हो जायेगा। 

यह है मांगे

आंदोलन कर रहे नेताओं की मांग है कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 ई0 के उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार को अधिकार है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश, गजट, संकल्प, को अंगीकृत कर सकता है तो इसी अधिकार के तहत बिहार का 3 मार्च 1982 वाला नियोजन नीति जिसका पत्रांक संख्या 5014/81- 806 को अंगीकृत कर बिहार के तर्ज़ पर नियोजन नीति लागू किया जाय तथा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाय। नियुक्ति फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या अनिवार्य रूप से भरने का प्रावधान किया जाय, जनसंख्या के अनुपात सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू किया जाय, झारखंड का एक स्पेशल पेपर का प्रावधान किया जाय जिसमें झारखंड के रीति रिवाज, भाषा संस्कृति, परंपरा का अनिवार्यता किया जाय, राज्य स्तर तथा जिला स्तर के सभी तकनीकी तथा गैर तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य किया जाय, मूल झारखंडी छात्रों को पांच वर्ष का उम्र सीमा में विशेष छुट दिया जाय और उत्तराखंड के तर्ज़ पर परीक्षा नकल विरोधी कानून लागू किया जाय।