राष्ट्रपति का झारखंड दौराः महिला समूह के सम्मेलन में शामिल हुई राष्ट्रपति, हेमंत ने कहा आदिवासियों की मांग केन्द्र से दिलाने का प्रयास करें

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू झारखंड के तीन दिवसीय दौरे पर है। दौरे के पहले दिन उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट के नये भवन का उद्घाटन किया। दूसरे दिन वो खूंटी में महिला स्वंय सहायता समूह सम्मेलन में शामिल हुई।

राष्ट्रपति का झारखंड दौराः महिला समूह के सम्मेलन में शामिल हुई राष्ट्रपति, हेमंत ने कहा आदिवासियों की मांग केन्द्र से दिलाने का प्रयास करें
रांची/खूंटी
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू झारखंड की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। इस प्रवास के दूसरे दिन राष्ट्रपति खूंटी के बिरसा मुंडा स्टेडियम में महिला स्वंय सहायता समूह के महिलाओं से मिली। इस दौरान उन्होंने उनके स्टॉल का भ्रमण किया और कुछ चुनिंदा महिला समूह के सदस्यों से उन्होंने एक एक कर बात भी की। मंच से उन्होंने जब महिला समूह को संबोधित किया, तो अपने झारखंड से जुड़ाव और जीवन संघर्ष की कहानी भी महिलाओं को सुनायी।उन्होंने बताया कि वो ओडिशा की तो हूं, लेकिन झारखंड का खून मेरे शरीर में बहता है। महिला कल्याण एंव बाल कल्याण मंत्री जोबा मांझी जिस घर की बहु हैं, मेरी दादी उसी घर की थी। कार्यक्रम का आयोजन जनजातीय मंत्रालय की ओर से किया गया था, जिसमें केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री और खूंटी के सांसद अर्जुन मुंडा, राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह सरूता और स्थानीय विधायक मौजूद थे। 
महुआ चुनने की कहानी
मैं सोचती थी कि शायद मेरे पास भी बचपन में वही ज्ञान होता। मेरे गांव से पांच-छह किमी दूर मेरे खेत है। बीच में 20 महुआ के पेड़ थे। रात दो बजे मेरी दादी उठाती और महुआ चुनने जाती थी, महुआ सुखाती थी, कभी हमारे पास खाना नहीं होता तो उसे खाते भी थे। 20 पैसे किलो महुआ बेचते थे, लेकिन आज बहनों से उसका केक-लड्डू और जाने क्या-क्या बना कर बेच रहे हैं। उस वक्त हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। आज सरकार प्रशिक्षण कर महिलाओं को सिखाती हैं। महिलाएं केवल धान की खेती पर निर्भर नहीं हैं।
आदिवासी राज्य में आदिवासी नेतृत्व
मुख्यमंत्री ने अपने में कहा कि झारखंड जितना विकसित होना चाहिए था उनता नहीं हो पाया। इसपर उन्होंने दुख प्रक्रट किया, लेकिन द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि अलग राज्य बनने के 22 साल हुए। एक मौके को छोड़कर उन दिनों से आदिवासी समुदाय के ही मुख्यमंत्री बने.। राज्य में 28 एमएलए आदिवासी हैं। आज आदिवासी जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा हैं। और मैं खुश हूं, महिला बाल विकास मंत्री भी खूंटी के पास से हैं। आशा करती हूं कि आने वाले दिन में महिलना समूुहों के उत्पाद को बड़ा बाजार मिले। सामान बनाने वाली महिलाओं से मैंने पूछा महीने में कितने मिलते हैं। वह खुश हैं, उनको देख कर मैं खुद को याद किया। 
254 गांव को आदर्श ग्राम बना रहे।
जनजातीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने संबोधन में कहा कि  254 गांवों को आदर्श ग्राम बना रहे हैं। यहां से आरंभ होने वाला अभियान आने वाले दिनों में हमारी सांस्कृतिक विरासत को बरकरार रखते हुए संसाधनों का उपयोग अच्छे तरीके से करें। रोजगार के साथ सांस्कृतिक विरासत को जोड़ें। माताओं व बहनों ने वनोपज देने का काम किया। जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य के लिए विशेष अभियान चल रहा है। शिक्षा के लिए 71 एकलव्य विद्धयालय खोले गये हैं। 32 हजार बच्चों का एडमिशन होगा। राज्य और केंद्र का प्रयास गांवों को मजबूत करना है।
केन्द्र से राज्य का हिस्सा दिलायें 
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार के जनजातीय मंत्रालय की ओर से कार्यक्रम का आयोजन है। यह जनजातियों के विकास में बड़ी भूमिका निभायेगा। आज आदिवासी समुदाय के लोग कई चुनौतियों के साथ संर्घष कर रहे हैं। जल, जंगलन, जमीन की हमारी पहचान, वहीं यह राज्य कोयला, तांबा, अब्रक, यूरेनियम के नाम से जाना जाने लगा है।  उन्होंने राष्ट्रपति से कहा कि सरना धर्मकोड की मांग राज्य से की गयी है। साथ ही कुड़ुख, मुंडा और हो को आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने का प्रयास करें।