Uniform Civil Code: संसदीय कमिटी की बैठक में समर्थन और विरोध, सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति  बैठक हुई। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस बैठक की अध्यक्षता की।

Uniform Civil Code:  संसदीय कमिटी की बैठक में समर्थन और विरोध, सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

रांची/दिल्ली

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर छिड़ी बहस के बीच सोमवार को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति  बैठक हुई। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस बैठक की अध्यक्षता की। सुशील मोदी ने बैठक में उत्तर-पूर्व और अन्य क्षेत्रों के आदिवासियों को किसी भी संभावित यूनिफॉर्म सिविल कोड के दायरे से बाहर रखने की वकालत की है। हालाँकि बैठक में एक सदस्य ने इस तर्क का विरोध करते हुए कहा कि अगर आदिवासियों को यूसीसी से छूट दी गई तो एकरूपता कैसे आएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने कहा कि आदिवासियों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा मिलती है। यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद संविधान की अनुसूची 6 में आदिवासियों के लिए किए गए विशिष्ट प्रावधान खत्म नहीं होंगे। बैठक में विभिन्न दलों के 17 सांसद एवं विधि आयोग के सदस्य शामिल थे। सबकी राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे संसद में पेश किया जाएगा। वहीं, कांग्रेस और डीएमके समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आम चुनाव के मद्देनजर यूसीसी को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए. बैठक में विभिन्न दलों के 17 सांसद एवं विधि आयोग के सदस्य शामिल थे। सबकी राय के आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी, जिसे संसद में पेश किया जाएगा। 14 जून को 22वें लॉ कमीशन ने एक बार फिर से UCC पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया को आरंभ किया है।

आदिवासी संगठनों का विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चा की है, तब से देशभर में इस पर बहस छिड़ गया है। कई आदिवासी संगठन इस बात से आशंकित हैं कि अगर यह कानून लागू हुआ तो उनके रीति-रिवाजों, सामाजिक परंपरा, आदिवासी से जुड़े कानून पर इसका असर पड़ेगा। आदिवासी संगठनों को डर है कि अगर समान नागरिक संहिता लागू हो जाती है, तो आदिवासी समाज की पहचान ही खत्म हो जाएगी। इतना ही नहीं जमीन से जुड़े सीएनटी, एसपीटी और पेसा कानून पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र 

सेंगेल अभियान प्रमुख सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि फिलवक्त आदिवासी सेंगेल अभियान यूनिफॉर्म सिविल कोड के मामले पर न विरोध करता है, न समर्थन। चूँकि अब तक इसका कोई ठोस मसौदा सामने नहीं आया है। हम लोग समय पर आदिवासी हितों में अपना मंतव्य प्रस्तुत करेंगे। मगर हम भारतीय संविधान के साथ खड़े रहेंगे। हम आदिवासी व्यक्ति केंद्रित ईश्वर को नहीं मानते हैं। प्रकृति ही जीवन दाता है, पालनहार है,तो प्रकृति ही हमारा ईश्वर है। हमें हमारी धार्मिक आजादी (मौलिक अधिकार) नहीं देना हमें दूसरे धर्मों की ओर जबरन धर्मांतरण करने को विवश कर अन्याय, अत्याचार और शोषण के आग में झोंकना है। अतएव यूनिफाइड सिविल कोड पर आदिवासियों का संवैधानिक मंतव्य स्थिर करने के पूर्व 2023 में हर हाल में हमें सरना धर्म कोड प्रदान किया जाए।