महान संताली साहित्यकार और ओलचिकी के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 119 वीं जयंती 

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मयूरभंज पहुंचे वहां उन्होंने पंडित रघुनाथ मुरमू के समाधि पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित की।

महान संताली साहित्यकार और ओलचिकी के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की 119 वीं जयंती 

मयूरभंज, ओडिशा

 महान संताली साहित्यकार और ओलचिकी लिपि के आविष्कारक गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू की आज 119 वीं जयंती है । इस अवसर पर पंडित रघुनाथ मुर्मू जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन का दाँडबोस, रायरंगपुर, मयूरभंज, ओडिशा पहुंचे। उनकी समाधि पीठ (स्मारक) और प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने समाधि पीठ परिसर का भ्रमण करने के साथ स्थानीय लोगों से संवाद भी किया।

आदिवासी समाज को नई दिशा दी

पंडित रघुनाथ मुर्मू जी की याद और सम्मान में यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संताली भाषा और साहित्य के विकास में उनके अविस्मरणीय योगदान को हम कभी भुला नहीं सकते हैं । उन्होंने ओलचिकी के रूप में संताली को एक नई लिपि दी। विशेषकर आदिवासी समाज की परंपरा, कला संस्कृति और भाषा- साहित्य के संरक्षण और उसे समृद्ध करने में उनकी भूमिका इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। विशेषकर आदिवासियों के बीच शिक्षा का अलख जगाने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी। पंडित रघुनाथ जी की रचनाएं और कृतियां अमर हैं। आज संताली भाषा और साहित्य कि अपनी समृद्ध परंपरा कायम है तो इसमें सबसे बड़ा योगदान पंडित रघुनाथ मुरमू जी का ही है।