नये संसद भवन के उद्घाटन से दूर रहेगी विपक्षी पार्टी... 19 दलों ने किया बायकॉट, जारी किया संयुक्त वक्तव्य

देश के 19 विपक्षी दलों ने नये संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया है। इन्होंने उद्घाटन समारोह से दूर रहने का ऐलान किया है। 28 मई को पीएम नरेन्द्र मोदी नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे।

नये संसद भवन के उद्घाटन से दूर रहेगी विपक्षी पार्टी... 19 दलों ने किया बायकॉट, जारी किया संयुक्त वक्तव्य
नया संसद भवन

दिल्ली,


देश के नये संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। पीएम नरेन्द्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करेंगे। नये संसद भवन के उद्घाटन से जुड़ी खबरों के बीच देश के 19 विपक्षी दलों ने इसका बायकॉट कर दिया है। इसमें कांग्रेस, आप, शिव सेना, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा, जनता दल, एनसीपी, एमडीएमके, डीएमके  समेत कई दल शामिल है। विपक्ष ने बिल्डिंग का उद्घाटन पीएम से करवाने पर भी एतराज जताया है। वह इसे राष्ट्पति का अपमान बता रहे हैं। 

विपक्ष ने जारी किया संयुक्त वक्तव्य

नये संसद भवन का उद्घाटन पीएम के हाथों किये जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया है और इसे लेकर एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि " संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जायेगा।" राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाती हैं, सत्रावसान करती है ओर संबोधित करती है। विपक्ष ने राष्ट्रपति को दरकिनार करने की घटना को अशोभनीय कृत्य व उच्च पद का अपमान बताया है। पत्र में कहा गया है कि संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नयी बात नहीं है। संसद के विपक्षी सदस्यों को अयोग्य, निलंबित और मौन कर दिया गया है। 

तारीख पर तकरार

नये संसद भवन के उद्घाटन की तारीख को लेकर भी विपक्ष ने सवाल उठाये हैं। उनका कहना है कि इस दिन हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। उनका जन्म 28 मई 1883 को हुआ था। इस वर्ष उनकी 140 वीं जयंती मनायी जायेगी। अब यह महज एक संयोग है या सुनियोजित यह कह पाना कठिन है।  

विपक्षी नेताओं ने क्या कहा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीटर पर लिखा कि नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्पति जी को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीर किया - पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नये संसद भवन के शिलन्यास के मौके पर आमंत्रित नहीं किया गया, ना ही अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उद्घाटन के मौके पर आमंत्रित किया गया। केवल राष्ट्रपति ही सरकार, विपक्ष और नागरिकों का प्रतिनिधित्व करती है। वो भारत की प्रथम नागरिक है।  वरिष्ठ सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए संसद के नये भवन का उद्घाटन करना संवैधानिक रूप से सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जब नयी संसद भवन की नींव रखी गयी तब भी राष्ट्रपति को दूर रखा गया और अब उसके उद्घाटन में भी उन्हें दूर रखा जा रहा है, यह न्यायोचित नहीं है। AAP सांसद संजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी दलित, पिछड़ों और आदिवासियों की जन्मजात विरोधी है। महामहिम के अपमान की दूसरी घटना। पहला अपमान प्रभु श्री राम के मंदिर शिलान्यास में श्री रामनाथ कोविंद जी को नहीं बुलाया। दूसरा अपमान संसद भवन के उद्घाटन समारोह में महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी को ना बुलाना। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संसद भवन का उद्घाटन क्यों करना चाहिए ? वह कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं। टीएमसी सांसद सौगत राय ने कहा, हम नये संसद भवन का उद्घाटन करने वाले पीएम के विरोध में है। राष्ट्पति को इसका उद्घाटन करना चाहिए। 

28 माह में बनकर हुई तैयार

10 दिसंबर 2020 को पीएम नरेन्द्र मोदी ने नये संसद भवन के निर्माण कार्य का शिलन्यास किया था। इसके निर्माण का टेंडर टाटा प्रोजेक्ट को सितंबर 2020 में दिया गया था। इसके निर्माण में 1,200 करोड़ रूपये की लागत आयी है।  चार मंजिला संसद भवन में सदस्यों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, समिति कक्ष सहित अन्य सुविधाएं मौजूद है। नये संसद भवन में लोकसभा के 888 और राज्यसभा के 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गयी है।