जैप-01 जहां होती है नवमी को शस्त्र की पूजा, मां को चढ़ायी जाती है बलि

JAP 1 की दुर्गा पूजा, जहां की परंपरा सदियों पुरानी है।

जैप-01 जहां होती है नवमी को शस्त्र की पूजा, मां को चढ़ायी जाती है बलि

रांची

मां दुर्गा शक्ति की देवी है और इसी श्रृद्धा के साथ राजधानी रांची स्थित जैप-1 परिसर में नवरात्र को यहां खास पूजा होती है। यहां शक्ति की देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए 9 कन्याओँ के पूजा के साथ ही शस्त्र पूजा का आयोजन हुआ। सबसे पहले 9 कन्याओं की पूजा की गई। इसके बाद शस्त्रों को एक जगह रख कर पूजा गया। शस्त्रों में, खुकुरी, एसएलआर, एलएमजी, एके 47 सहित अन्य हथियार की पूजा की गई। शस्त्र पूजा के बाद बली पूजा की गयी, जिसमें हर बलि के साथ गोलियां दागकर सलामी दी जाती है। गोरखा समाज में यह मान्यता है कि माता को प्रसन्न करने के लिए बकरे की बलि दी जाती है, ताकि उन्हें शत्रुओं से लड़ने की शक्ति मिल सके । गोरखा समाज में शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। जवान शस्त्रों की पूजा कर माँ से अपार शक्ति की कामना करते हैं।

प्रतिमा की जगह कलश की स्थापना होती है।

जैप-01 के मंदिर में मूर्ति की जगह कलश की स्थापना कर पूजा आरंभ होती है। षष्ठी को भैरव की पूजा होती है। सप्तमी को वन देवी की पूजा होती है, जिसमें एक जुलुस निकाल कर पेड़ों की पूजा होती है, जिसे फूल पाती कहा जाता है। नवमी को यहां 9 कन्याओँ की पूजा के साथ पूजा सम्पन्न होती है।

1980 से चली आ रही परंपरा

सदियों पुरानी जैप-1 जिसकी स्थापना अंगरेजों के जमाने में यानि 1980 में हुई थी। तब इसका नाम न्यू रिजर्व फोर्स था। आजादी के बाद 1948 में यह बिहार मिलेट्री पुलिस के नाम से जाना जाने लगा और 2000 में झारखंड अलग होने के बाद इसका नाम झारखंड आर्मड पुलिस पड़ गया। बिहार में अब भी बीएमपी यानि बिहार आर्मड पुलिस के नाम से गोरखा की सेवा ली जा रही है।

नक्सल प्रभावित इलाकों में ही होती है पोस्टिंग

गोरखा बटालिया यानि जैप-01 की पदस्थापना विशेष रूप से नक्सल प्रभावित दुरूह क्षेत्रों में ही की जाती है। हलांकि इनके चुस्त फुर्तिली होने की वजह से विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में पहली पसंद मानी जाती है। इसलिए ज्यादत्तर मंत्री, सचिव और खास लोगों की सुरक्षा में इनकी तैनाती देखी जा सकती है।