60-40 के विरोध में आहूत झारखंड बंद के मद्देनजर चाईबासा में भी दिखा बंद का व्यापक असर

60-40 के विरोध में आहूत झारखंड बंद के मद्देनजर चाईबासा में भी दिखा बंद का व्यापक असर

60:40 के फॉर्मूले पर नियोजन नीति, आरक्षण रोस्टर, सरकारी संस्थानों में डीएलएड की पढ़ाई को बंद किए जाने के खिलाफ एवं खतियान के आधार पर नियोजन नीति निर्धारित करने की मांग को लेकर झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा पूर्व में निर्धारित तीन दिवसीय महाआंदोलन का समर्थन करते हुए कोल्हान छात्र संघ के बैनर तले जुलूस निकालकर पश्चिमी सिंहभूम बंद का अपील किया गया। इस दौरान स्वास्थ्य संबंधी आकस्मिक सुविधाओं को छोड़कर सभी शैक्षणिक संस्थान यथा स्कूल, कॉलेज, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले संस्थान, विभिन्न प्रतिष्ठानों, उद्योग आदि बंद रहेंगे इसलिए जितने भी व्यापारी संघ के अध्यक्ष, व्यापारी, मजदूर, दुकानदार छोटे-बड़े वाहनों के मालिक एवं चालक साथ ही  तमाम सम्मानित जनता से छात्रों द्वारा रखा गया 19 तारीख के बंद को समर्थन करते हुए इस बंदी को सफल बनाने में सहयोग करने की अपील की गई। 
इस दौरान सरकार से निम्नलिखित मांगे रखी है- 
1. 60:40 के फार्मूले पर नया नियोजन नीति के स्थान पर 90:10 के फार्मूले पर खतियान आधारित नियोजन नीति निर्धारित हो।
2. बिहार राज्य के तर्ज पर झारखंड राज्य में राज्य स्तर पर जातीय जनगणना के बाद सभी वर्गों के लिए जिला स्तर पर नियोजन के लिए आरक्षण रोस्टर निर्धारित किया जाये।
3. जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान और प्राथमिक शिक्षण शिक्षा महाविद्यालय में D.El.Ed के कोर्स के लिए सत्र 2023-25 में नामांकन लिया जाये। 
4. उत्तराखंड का नकल विरोधी कानून के तर्ज पर सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और घोटालों तथा परीक्षाओं में अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने हेतु झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों के नियंत्रण एवं रोकथाम उपाय ) अध्यादेश लागू करे।
5. झारखंड में स्थानीय छात्रों की उम्र सीमा में न्यूनतम 5 वर्ष का छूट दिया जाए।
6. नियोजन फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या लिखना अनिवार्य किया जाए।
7. नियोजन में भाषा का बैरियर डाला जाए।
8. विद्यालय और महाविद्यालयों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग बनाया जाए एवं शिक्षकों की नियुक्ति। 
9.जिला स्तर पर नियोजन के लिए जारी आरक्षण रोस्टर के अनुसार BC-1 और BC-2 के लिए 7 जिलों में आरक्षण शून्य किया गया है। इसे वापस लिया जाए।