स्कूली बच्चों संग संपादक ( संजय मिश्रा)  कियें संवाद स्थापित तुलसी भवन में युवा रचनाकार ( हिंदी रचनाधर्मिता ) कार्यशाला आयोजित।

स्कूली बच्चों संग संपादक ( संजय मिश्रा)  कियें संवाद स्थापित तुलसी भवन में युवा रचनाकार ( हिंदी रचनाधर्मिता ) कार्यशाला आयोजित।


जमशेदपुर : गोदी मीडिया क्या है ? , कितने लोग यह मानते हैं कि आज पत्रकारिता का स्तर ठीक नहीं है , कितने लोगों को ऐसा लगता है कि पत्रकारिता में सुधार होनी चाहिए। सोशल मीडिया के खबरों की विश्वसनीयता क्या है ? उपरोक्त निम्न सवाल पत्रकार संजय मिश्रा ने स्कूली बच्चों से किया। उन सैकड़ों  बच्चों से , जो तुलसी भवन के सभागार में उपस्थित थे। फिर उन्होंने बच्चों से सहज भाव से संवाद स्थापित किया। उनके सवालों का उत्तर दिया। पत्रकारिता के मूल को समझाया। साथ ही साथ उन सैकड़ों बच्चें के नब्ज को टटोला जो पत्रकारिता के क्षेत्र में रूचि रखते हैं। बड़ी बात यह रही कि उन्होंने आज के सोशल मीडिया के भीड़ के बीच अपना नंबर सार्वजनिक कर मासूम बच्चों को अपना दोस्त बनाया। और यह संदेश दिया कि आप हमें फोन करें,  हमसे बातें करें , अपनी भावनाएं हमसे साझा करें। क्योंकि आप ही कल के पत्रकार है। बच्चों के सवालों का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि दूसरों से जो सवाल करना सीख लिया समझें वो पत्रकार है। उन्होंने बेवाक तरीके से अपनी बातों को रखा तथा बच्चों में आत्मविश्वास भरा। उन्होंने कहा कि मेरे दौर में विज्ञान पर फ़ोकस था , हमारे साथ जीविका का प्रश्न पहले होता था लेकिन आज की पीढ़ी उससे बाहर है। मैं भी पत्रकारिता का विद्यार्थी रहा हूं । मैं रोज सीखता हूं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता आदि काल से है। तब अभिव्यक्ति का तरीका अलग था। गुफाओं में कलाकृतियां पत्रकारिता का ही एक रूप रहा है। उन्होंने कहा कि  हर आदमी के अंदर पत्रकारिता छुपा है। हर व्यक्ति पत्रकार है लेकिन असल पत्रकार वो है जिसे पत्रकारिता के व्याकरण की समझ हो । उन्होंने कहा कि आज  फिल्टर का खूब इस्तेमाल हो रहा है। जो पत्रकारिता में स्वीकार नहीं है। आज के समय में पत्रकारिकता के क्षेत्र में अलग तरह की चुनौतियां है। पत्रकारिता पूरी तरह सच से रूबरू कराने का तरीका है। उन्होंने पंडित युगल किशोर के जमाने की पत्रकारिता एवं आज की पत्रकारिता के अंतर को समझाया। कहा आज भी कुसंस्कृति के खतरे हैं , इतिहास के परिप्रेक्ष्य में खतरे हैं। ऐसे में हूबहू प्रस्तुत ही असल पत्रकारिता है। आज बच्चें जिस तरह सवाल पूछ रहें हैं उन्हे देख कर लगता है कि हर बच्चे में पत्रकार बसा है। बस उसका व्याकरण ठीक - ठीक व्यक्त करें तो इसी को पत्रकारिकता बोलते हैं। अंत में उन्होंने कहा जोश , जुनून और जिद का नाम है पत्रकारिता। उन्होंने खबरों की प्रस्तुति का तरीका भी बच्चों से साझा किया। 
विभिन्न स्कूलों के सैकड़ों बच्चें सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा आयोजित युवा रचनाकार, हिंदी रचनाधर्मिता कार्यशाला में भाग लेने आयें थे। उद्घाटन सत्र के पश्चात कथा सत्र , काव्य सत्र , पत्रकारिता सत्र और अंत में स्कूली बच्चों के मौलिक रचनाओं की प्रस्तुति एवं प्रमाण पत्र वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। विभिन्न सत्रों में आयोजित कार्यक्रमों के बदौलत तुलसी  यह संदेश देने में सफल रहा कि तुलसी भवन हिंदी की नई फसल तैयार कर रहा है। या यूं कहें तुलसी भवन बच्चों में हिंदी को आधार बनाकर संस्कार, संस्कृति और साहित्य के प्रति रूझान बढ़ाने के मिशन पर कार्यरत है। राष्ट्र भाषा हिंदी को स्थापित करने की तुलसी भवन का प्रयास काबिले तारीफ है। 
तुलसी भवन के मानद महासचिव प्रसेनजित तिवारी के सफल निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम में जमशेदपुर को - ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह , अब्दुल बारी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ मुदिता चंद्रा , राजेन्द्र विद्यालय की पूर्व शिक्षिका श्रीमती छाया राय , जमशेदपुर  प्रभात खबर दैनिक अखबार के स्थानीय संपादक संजय मिश्रा   ट्रस्टी अरूण कुमार तिवारी, इंद्रदेव प्रसाद , विद्या सागर गुलाब जी , बिमल जलान , प्रकाश मेहता , डॉ अजय ओझा , बृजेन्द्र नाथ मिश्रा ,  यमुना तिवारी व्यथित , उदय प्रताप हयात , डॉ संजय पाठक , विभिन्न स्कूलों के शिक्षक - शिक्षिकाएं समेत कई गणमान्य लोग मौजूद थे। 
( जमशेदपुर से पत्रकार दीपक कुमार की रिपोर्ट )