Jharkhand Band:ओलचिकी लिपि को लेकर बुलाया गया बंद, प्रथम राजभाषा व संथाल अकादमी सहित अन्य मांगे शामिल

ओलचिकी लिपि की मांग को लेकर मंगलवार को संथाल संगठनों ने झारखँड बंद का आह्वान किया। बंद का जनजातीय क्षेत्रों में खासा असर देखा गया।

Jharkhand Band:ओलचिकी लिपि को लेकर बुलाया गया बंद, प्रथम राजभाषा व संथाल अकादमी सहित अन्य मांगे शामिल


झारखंड


संथाली भाषा और ओलचिकी की मांग को लेकर आज मंगलवार को झारखंड बंद का आयोजन किया गया। संथाल छात्र संगठन और ओलचिकी हूल बैसी, मांझी पारगाना महाल सहित कई संथाल संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। बंद का जनजातीय क्षेत्रों में व्यापक असर देखा गया। संथाल समुदाय के लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और रेल ट्रैक को भी जाम किया। हजारीबाग के एनएच 33 को भी बंद समर्थकों ने घंटों जाम रखा। गोड्डा-देवघर मुख्य मार्ग को भी आंदोलनकारियों ने सुबह से जाम रखा। इसका असर रेल ट्रैक पर दिखाई दिया। बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र बहरागोड़ा में लोगों ने रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन किया। इसकी वजह से टाटा - खड़गपुर रेलखंड के दर्जनों ट्रेनों को रद्द करने पड़े। बंद से पूर्व जमशेदपुर के चांडिल में लोगों ने मशाल जुलुस भी निकाला था।

ये हैं मांगे

ओलचिकी लिपि की मांग को लेकर संथाल संगठनों का 12 घंटे का झारखंड बंद बुलाया गया है। इससे पूर्व संगठनों ने जून तक का सरकार को अल्टीमेटम दिया गया था। इनकी प्रमुख मांग है कि
1. अनुच्छेद 345 के तहत संथाली भाषा को प्रथम राजभाषा का दर्जा देना होगा। 
2. संथाली भाषा का ओलचिकी लिपि में पुस्तक का मुद्रण एवं पठन पाठन आरंभ करें। 
3. संथाली शिक्षकों की बहाली व अलग से संथाल अकादमी का गठन करना होगा।

ओलचिकी को लेकर मतभेद भी

ओलचिकी लिपि को लेकर संथाल समाज में मतभेद भी देखे गये हैं। संथाल परगना के कुछ हिस्सों में इसकी स्वीकारिता पर बहस भी छेड़ी जा चुकी है। कुछ हिस्सों में संगठनों ने प्रदर्शन भी किये थे। झारखंड में संथाली भाषा को रोमन या देवनागरी लिपि में लिखा जाता रहा है। सरकारी तौर पर इसकी मान्यता जारी रहे, इसे लेकर आंदोलन भी नजर आ चुके हैं।