बाघ आया, लोकसभा-विधानसभा चुनाव में JBKSS करेगा शिकार 

1932 आधारित स्थानीय नीति के आंदोलन में उतरे जयराम महतो ने ना केवल राजनीतिक दलों की नींद हराम कर दी है, बल्कि राजनीति दल की घोषणा कर उनके लिए कड़ी चुनौती पेश की है।

बाघ आया, लोकसभा-विधानसभा चुनाव में JBKSS करेगा शिकार 



धनबाद/झारखँड

1932 आधारित स्थानीय नीति के आंदोलन में उतरे जयराम महतो ने ना केवल राजनीतिक दलों की नींद हराम कर दी, बल्कि राजनीति दल की घोषणा कर उनके लिए कड़ी चुनौती पेश की है। झारखंडी भाषा-खतियान संघर्ष समिति के धनबाद अधिवेशन में उम्मीद से अधिक समर्थक और कार्यकर्ता जुटे। जयराम महतो ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक विनोद बिहारी महतो के समाधि स्थल से अपने राजनीतिक पारी की शुरूआत की घोषणा करते हुए इसे राजनीतिक दल के रूप में चुनाव लड़ने के लिए फैसले का ऐलान किया है। इस पार्टी का प्रतिक होगा टाईगर यानि बाघ। जयराम महतो के साथ जुड़े युवा उन्हें टाईगर के नाम से ही पुकारते हैं। इस पार्टी के अध्यक्ष चुने जाने के बाद जयराम महतो ने घोषणा की है कि पार्टी सभी लोकसभा व विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मंच से सभा को संबोधित करते हुए जयराम महतो ने कहा कि गुजरात गुजरातियों का, बिहार बिहारियों का, बंगाल बंगालियों का तो झारखंड झारखंडियों का क्यों नहीं है।

रविवार को राजनीतिक दल की घोषणा

जयराम महतो के राजनीति में उतरने की घोषणा के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है। दरअसल 1932 के खतियानी आंदोलन ने अबतक तीन राजनीतिक दल अथवा मंच को जन्म दिया है। इनमें सबसे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व विधायक अमित महतो का नाम आता है, जिन्होंने ' झारखँड खतियानी पार्टी ' का गठन किया। इसमें कई पूर्व विधायक और आंदोलनकारियों के नाम शामिल रहे। दूसरे नंबर पर ' झाड़खंडी खतियानी मोर्चा' है जिसकी आधारशिला सूर्यसिंह बेसरा ने रखी है। हलांकि उनका कहना है कि मोर्चा सीधे रूप से चुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि समान विचारधारा के उम्मीदवारों को समर्थन करेगी। और अब जयराम महतो ने ' झारखंडी भाषा-खतियान संघर्ष समिति' को राजनीतिक मकसद के साथ आगे बढ़ाने की घोषणा की है।   

डुमरी से हो सकती है आगाज !

आने वाले कुछ दिनों में डुमरी विधानसभा का उपचुनाव होना है। पूर्व विधायक सह मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद यह सीट खाली है और उनके बेटे पर सबकी निगाह टिकी हुई है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा कि डुमरी विधानसभा के उपचुनाव के साथ ही झारखंडी भाषा-खतियान संघर्ष समिति चुनावी मैदान में उतरेगी और जयराम महतो इसके उम्मीदवार हो सकते हैं। 

थोपी हुई नीति नहीं चलेगी

युवा नेता जयराम महतो ने कहा है कि झारखंड में अब थोपी हुई नीति नहीं चलेगी। झारखंड में झारखंडियों की संस्कृति, परंपरा और विधान के अनुसार राज्य चलेगा। अबतक झारखंड को बाहरी लोग ही चलाते आये हैं, इसलिए यहां की जमीन, जंगल और रोजगार पर बाहरियों का कब्जा है। युवा अब जाग गये हैं और एक नये आंदोलन का आगाज हुआ है।