ED क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे राँची के पूर्व DC व वर्तमान कल्याण निदेशक छवि रंजन , पूछताक्ष जारी

रांची के पूर्व डीसी और कल्याण विभाग के निदेशक छवि रंजन सोमवार को ईडी (ED) दफ्तर पहुंचे। यहां ईडी ने रांची में हुए उनके कार्यकाल में सेना की जमीन घोटाले समेत अन्य भूमि घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

ED क्षेत्रीय कार्यालय पहुंचे राँची के पूर्व DC व वर्तमान कल्याण निदेशक छवि रंजन , पूछताक्ष जारी

रांची,

रांची के पूर्व डीसी और कल्याण विभाग के निदेशक छवि रंजन सोमवार को ईडी (ED) दफ्तर पहुंचे। यहां ईडी ने रांची में हुए उनके कार्यकाल में सेना की जमीन घोटाले समेत अन्य भूमि घोटाले में उनकी संलिप्तता को लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। बता दें कि ईडी ने 13 अप्रैल को आईएएस छवि रंजन सहित रांची के कई सर्किल इंस्पेक्टर व जमीन दलालों सहित 18 लोगों के 22 ठिकानों पर एक साथ रेड डाली थी। देर शाम तक इनमें से 7 लोगों को ईडी ने अपने हिरासत में लिया था। फिलहाल 7 आरोपी को कोर्ट के समक्ष पेश कर रिमांड पर लिये गये हैं और इनसे लंबी पूछताछ की जा रही है। सेना की जमीन फर्जीवाड़े में रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन के मातहत अफसरों घासीराम पिंगुआ, वैभव मणि त्रिपाठी से ईडी पहले ही पूछताछ कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार पिंगुआ ने ईडी की ओर से की गई पूछताछ में यह खुलासा किया था कि तत्कालीन डीसी छवि रंजन के कहने पर उसने सेना की जमीन रजिस्ट्री की थी। ईडी राजस्व से जुड़े अन्य अधिकारियों को भी तलब करेगी। बता दें कि बीते 13 अप्रैल को गिरफ्तार बड़गाई के सर्किल इंस्पेक्टर भानु ने भी सीनियर अफसरों की भूमिका की जानकारी ईडी को दी है।

ED ने नहीं दिया समय

आईएएस छवि रंजन ने अपने वकील के माध्यम से ईडी से दो हफ्ते का समय मांगा था, लेकिन ईडी ने इसे नामंजूर कर दिया। ईडी ने 24 तारीख को उन्हें पेश होने को कहा। ईडी ने इससे पहले 21 अप्रैल को पूछताक्ष के लिए बुलाया था। 


संदिग्ध है आईएएस की भूमिका

ईडी को मिली जानकारी के अनुसार सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की खरीद बिक्री में तत्कालीन डीसी छवि रंजन की भूमिका बेहद संदिग्ध है। आयुक्त की जांच रिपोर्ट में भी इसके खुलासे किये गये थे। प्रदीप बागची नामक व्यक्ति को फर्जी रैय्यत बनाकर जगत बंधु टी इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के निदेश दिलीप कुमार घोष को जमीन बेच दी गयी थी। जमीन की रजिस्ट्री में जिन होल्डिंग नंबर से संबंधित दस्तवेज का इस्तेमाल किया गया था, जांच में वो फर्जी पाये गये थे।