1961 से मांदर की थाप और नगाड़े के धुन पर होती है परेड, मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस

झारखंड की आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से जुड़ गयी है स्वतंत्रता दिवस समारोह। यहां सरहुल और सोहराय में ही मांदर - नगाड़े नहीं बजते, बल्कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में भी बजाये जाते हैं।

1961 से मांदर की थाप और नगाड़े के धुन पर होती है परेड, मनाया जाता है स्वतंत्रता दिवस

गुमला, झाऱखंड


झारखंड की आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से जुड़ चुकी है स्वतंत्रता दिवस समारोह। यहां सरहुल और सोहराय में ही मांदर - नगाड़े नहीं बजते, बल्कि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस में भी बजाये जाते हैं। झारखंड के गुमला जिले के सुदूर डुमरी प्रखंड के जनता उच्च विद्यालय में एक अनोखी परंपरा है , यहां  मांदर की थाप और नगाड़े के चोट पर जन गण मन... गुनगुनाये जाते हैं। मांदर की थाप और नगाड़ों के धुन पर ही स्कूली बच्चे परेड भी करते हैं। स्कूल के स्थापना काल से ही यहां इसी परंपरा से स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। समारोह के दौरान बड़ी संख्या में आदिवासी बाहुल इलाके में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। 

1961 से चली आ रही है परंपरा

जनता उच्च विद्यालय, डुमरी की स्थापना 1961 में आरसी चर्च द्वारा की गयी थी। स्कूल के पूर्व अध्यापक भीमसेनट लकड़ा बताते हैं कि स्थापना के वक्त स्कूल प्रबंधन ने स्वतंत्रता दिवस के इस समारोह को यहां की परंपरिक चीजों से जोड़कर मनाने की सोची होगी। और तबसे यह परंपरा चली आ रही है। बच्चे स्कूली ड्रेस के अलावा पारंपरिक वस्त्र पहनकर परेड में शामिल होते हैं।