उंराव समाज ने किया वनभुजनी पूजा का आयोजन

दुख-तकलीफ,हैजा,चेचक,कोरोना व मलेरिया जैसे महामारी बीमारी को दूर करने के लिए उरांव समाज द्वारा की जाती हस अखाड़े में पूजा।

उंराव समाज ने किया वनभुजनी पूजा का आयोजन
उंराव समाज की प्राचीन पारंपरिक पूजा


प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी वैशाख शुक्ल पक्ष की शुभ बेला में बुधवार को उरांव समाज के बान टोला, मेरी टोला एवं चित्रो टोला में वनभुजनी पूजा का आयोजन किया l पूजन का आयोजन समाज के पाहन (पुजारी) फागु खलखो पनभरवा  दुर्गा कुजूर,  मंगरू टोप्पो व सहयोगी चमरू लकड़ा, शम्भू टोप्पो, संजय कुजूर के द्वारा सरना स्थल ( चाला मण्डप ) में पूजा अर्चना  की गई l वहीं रात में पाहन व पनभरवा ने टोला मोहल्ले की सभी दुख-तकलीफ,हैजा,चेचक,कोरोना व मलेरिया जैसे महामारी बीमारी को दूर करने के लिए  उरांव समाज के अखाड़े में पारंपरिक रूप से पूजा की जाती है  l प्रथा है  कि इसदिन मुहल्ले के सभी घरों में रात को घर के बाहर आँगन में चूल्हा बनाकर खाना बनाया जाता हैं, और सभी एक-दूसरे आपस में मिलजुल कर भोजन का ग्रहण करतें हैं, तथा देर रात पूजा के बाद पूजा स्थल से ही छोटे-छोटे बच्चें निर्वस्त्र होकर हाँथ में डंडा लिए पुरे टोला मुहल्ला का भ्रमण करते है l प्रथा अनुसार उरांव समाज के लोग अपने-अपने आंगन में एक हंडी रखते हैं जिसे निर्वस्त्र लड़के रात को घूम-घूमकर फोड़तें हैं l वही हंडियों को फोड़ने के बाद सभी लड़के श्मशान काली मंदिर में स्नान कर व वस्त्र पहनकर लौट आयेंगे l माना जाता है कि जो घर से हंडी नही निकलता है उसके घर की दुख दर्द तकलीफे दुर नही होती l अगले दिन सुबह में इन हंडियों को मुहल्ले  की प्रत्येक घर की महिलाएं उठाकर व उसकी साफ-सफाई कर श्मशान काली मंदिर के एकांत स्थान अथवा मुहल्ले के सीमा से बाहर फेंककर स्नान कर  घर आती है,इसके साथ ही यह  पूजा  संपन्न  होती हैै l इस अवसर पर समाज के मुखिया लालू कुजूर व सभी पदाधिकारी खुदिया कुजूर,सीताराम मुण्डा,जगरनाथ लकड़ा,राजेन्द्र कच्छप,तेजो कच्छप,कृष्णा तिग्गा,सुखदेव मिंज,बंधन खलखो,रवि तिर्की,बिगु लकड़ा,भरत कुजूर,सुनिल खलखो,कलिया कुजूर, पिन्टु कच्छप, अजय लकड़ा,जगरनाथ कुजूर,दशरथ कुजूर,सुरज टोप्पो,सुखदेव मिंज,मनोज तिग्गा,मनीष तिर्की,बुधराम लकड़ा,सावन तिर्की,जगरनाथ टोप्पो,कृष्णा टोप्पो,रवि कुजूर,बिरसा लकड़ा,सुकरा कच्छप,करमा कुजूर,कृष्णा तिर्की,आकाश टोप्पो,देवानंद लकड़ा,दिलीप कच्छप,हुरिया बरहा,छेदु लकड़ा आदि समाज के लोग काफी संख्या में उपस्थित थे l