Niyojan Niti: झारखंड स्टेट स्टूटेंड्स यूनियन का झारखंड बंद, 72 घंटे के आंदोलन का अंतिम दिन

झारखंड स्टेट स्टूटेंड्स यूनियन का झारखंड बंद, 17 अप्रैल को यूनियन के छात्रों ने 72 घंटे के आंदोलन का शुरू किया था, जिसका आज अंतिम दिन है।

Niyojan Niti: झारखंड स्टेट स्टूटेंड्स यूनियन का झारखंड बंद, 72 घंटे के आंदोलन का अंतिम दिन

रांची,

झारखंड सरकार की नियोजन नीति के विरोध में आज छात्रों ने झारखंड बंद का आह्वान किया है। झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन (JSSU) की ओर से 19 अप्रैल बुधवार को झारखंड बंद बुलाया गया है. जिसका कई संगठनों ने समर्थन किया है। सुबह से ही छिटपुट इलाकों में बंद समर्थक छात्रों का जत्था बंद कराने सड़कों पर निकला, लेकिन पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया। ग्रामीण इलाकों में ही बंद का आंशिक असर देखने को मिल रहा है। झारखंड बंद को देखते हुए पूरे राज्य में सुरक्षा को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सुरक्षा-व्यवस्था को देखते हुए पुलिस मुख्यालय ने सभी जिले में अलर्ट जारी किया है। बंद को लेकर रांची, जमशेदपुर, बोकारो और धनबाद के एसपी को विशेष सतर्कता बरतने की हिदायत दी गयी है। बंद समर्थकों से निपटने के लिए राजधानी में 1000 सहित पूरे राज्य में 5000 से अधिक जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गयी है। 

बंद से पूर्व मशाल जुलुस 

झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन की तरफ से 17 अप्रैल से 72 घंटे के आंदोलन की शुरूआत हुई है, जिसके पहले दिन सीएम आवास का घेराव और दूसरे दिन छात्रों ने मशाल जुलूस निकाला था। मशाल जुलुस मंगलवार शाम जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से अल्बर्ट एक्का चौक तक निकाला गया और झारखंड बंद का आह्वान किया गया था। छात्रों ने कहा है कि नियोजन नीति का विरोध तबतक नहीं थमेगा, जबतक हमारी मांग पूरी नहीं की जाती है।

ये है मांगे

बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 ई0 के उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार को अधिकार है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश, गजट, संकल्प, को अंगीकृत कर सकता है तो इसी अधिकार के तहत बिहार का 3 मार्च 1982 वाला नियोजन नीति जिसका पत्रांक संख्या 5014/81- 806 को अंगीकृत कर बिहार के तर्ज़ पर नियोजन नीति लागू किया जाय तथा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाय, नियुक्ति फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या अनिवार्य रूप से भरने का प्रावधान किया जाय, जनसंख्या के अनुपात सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू किया जाय, झारखंड का एक स्पेशल पेपर का प्रावधान किया जाय जिसमें झारखंड के रीति रिवाज, भाषा संस्कृति, परंपरा का अनिवार्यता किया जाय, राज्य स्तर तथा जिला स्तर के सभी तकनीकी तथा गैर तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य किया जाय, मूल झारखंडी छात्रों को पांच वर्ष का उम्र सीमा में विशेष छुट दिया जाय, उत्तराखंड के तर्ज़ पर परीक्षा नकल विरोधी कानून लागू किया जाय।

इतिहास की पुनर्वृति

झारखंड आंदोलनकारी सूर्यसिंह बेसरा ने एक प्रेस बयान जारी कर बंद और आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि इतिहास अपने आपको दोहराता है। 1989 में आजसू ने 72 घंटे का आंदोलन किया था, जो 50 साल के झारखंड आंदोलन का एक अहम् मोड़ साबित हुआ था। झारखंडी छात्रों ने एक बार फिर आंदोलन का रास्ता अपनाया है, जो झारखंड के नवनिर्माण की बुनियाद बनेगा। उन्होंने सरकार से अपील की है वे छात्रों से वार्ता कर समाधान निकाले।