प्रतियोगिता परीक्षाओं पर उठाये सवाल या की गड़बड़ी तो दर्ज होगा FIR, 10 वर्षों के लिए लगेंगे प्रतिबंध, झारखंड सरकार ला रही है कानून

जानिये झाऱखंड प्रतियोगी परीक्षा ( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक, 2023 को, जिसने सदन में आने से पहले ही सुर्खियां बटोल ली।

प्रतियोगिता परीक्षाओं पर उठाये सवाल या की गड़बड़ी तो दर्ज होगा FIR, 10 वर्षों के लिए लगेंगे प्रतिबंध, झारखंड सरकार ला रही है कानून
बिल की कॉपी दिखाते बीजेपी विधायक अमित मंडल


रांची

झारखंड में इन दिनों छात्र समूह '60-40 नाय चलतो का नारा' बुलंद कर रहे... नियोजन नीति , 1932 के खतियानी नीति और नौकरियों की मांग को लेकर आंदोलनरत रहे। आये दिन परीक्षा के संचालन और विज्ञापनों पर सवाल उठते हैं। अब झारखँड सरकार प्रतियोगिता में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के लिए एक ऐसी कानून लाने जा रही, जिसे सुनकर छात्रों को झटका लग सकता है। आज इससे जुड़ी विधेयक की कॉपी विधायकों को बांटी गयी, जिसको पढ़कर विधायकों ने कहा कि यह तो देशद्रोह, पोक्सो, एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून से भी ज्यादा ताकतवर और खतरनाक होगी। इस विधेयक की कॉपी में मामले दर्ज करने से लेकर गिरफ्तारियों तक में असीमित शक्तियां दी गयी है। हलांकि विधेयक का नाम झाऱखंड प्रतियोगी परीक्षा ( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक, 2023 है, जिसने आने के पहले ही विवादों से नाता जोड़ लिया है। आईये जानते हैं क्या है इस विधेयक में ......

विधेयक का उद्देश्य

विधेयक को लाने के उद्देश्य के बारे में सरकार की ओर से कहा गया है कि राज्य में हाल के वर्षों में प्रतियोगिता परीक्षा में प्रश्न पत्र के प्रकटीकरण की घटनाओँ ने समाज तथा भर्ती हेतु प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों की चेतना को बुरी तरह प्रभावित किया है। इन घटनाओँ को रोकने के लिए कठोर दंड अधिरोपित किये जाने हेतु कानूनी प्रावधान किये जाने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह विधेयक लाया जा रहा है। 

इन परिस्थियों में परीक्षार्थियों या किसी व्यक्ति पर हो सकता है FIR

परीक्षा कक्ष में या उसके बाहर कार्य में तैनात पर्यवेक्षीय कर्मचारियों को या उनके किसी मित्र को या उनके किसी रिश्तेदार को चोट पहुंचाने ( मौखिक या लिखित शब्द या संकेतों या प्रस्तुतियों द्वारा) धमकी देना या अन्यथा पर्यवेक्षीय कर्मचारियों या परीक्षा हॉल में या उसके बाहर कार्य ( ड्यूटी) में तैनात किसी भी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की रियायत या  सहमति दिखाने कि लिए प्रेरित करने पर। 

सजा का प्रावधान

कोई परीक्षार्थी जिसे इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन किसी अपराध के लिए अभियोजित किया जाता है तो ऐसे अभियोजन पर परीक्षार्थी को आरोप-पत्र दाखिल होने की तिथि से दो या पांच वर्ष की कालावधि तथा दोष सिद्ध हो जाने पर 10 वर्ष की कालावधि के लिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किये जाने वाले समस्त प्रतियोगी परीक्षाओँ में प्रतिबंधित किया जायेगा।

नियमों के अधीन कंही भी तलाशी की छूट

जिला मजिस्ट्रेट या इस नियम के अधीन कार्य करने वाले किसी भी अधिकारी को किसी भवन, स्थान, जलयान, वायुयान या यान में जहां उन्हें संदेह होगा वो प्रवेश और तलाशी ले सकते है। किसी दरवाजे, बॉक्स, लॉकर, सेफ, आलमारी या गोदाम का जहां चाबियां उपलब्ध नहीं होगी। इन शक्तियों का प्रयोग करते हुए ताला तोड़ सकते हैं।  

जांच या अनुमोदन की आश्यकता नहीं होगी

इस कानून में यह प्रावधान लाया जा रहा है कि किसी भी ऐसे व्यक्ति के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने के लिए किसी प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं होगी। यदि आवश्यकता हो तो किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पूर्व अन्वेषक अधिकारी को किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी, जिसके विरूद्ध इस अधिनिमय के तहत FIR दर्ज होगी। 

छात्रों के आवाज और आंदोलन को दबाने का षड्यंत्र - अमित मंडल

बीजेपी के विधायक अमित मंडल ने आज मीडिया को बताया कि झाऱखंड प्रतियोगी परीक्षा ( भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक, 2023  सरकार लाने जा रही है। जिसमें परीक्षा के कदाचार को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने का प्रावधान शामिल है, लेकिन कानून को देखकर ऐसा लगता है कि यह छात्र परीक्षार्थी के हित में नहीं बल्कि उनकी आवाज दबाने के लिए है। यदि यह कानून लागू हो जाये, तो कोई भी परीक्षार्थी सरकार के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठायेगा। राज्य में युवा स्थानीय नीती, नियोजन नीति और नौकरियों की मांग कर रहे और सरकार ऐसे विधेयकों के जरिये उन्हें चुप कराने की कोशिश कर रही है।