चेन्नई में इलाजरत झारखंड के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो का निधन, राज्य में दो दिनों का राजकीय शोक

झारखंड के शिक्षा मंत्री व झारखंड आंदोलनकारी जगरनाथ महतो का गुरुवार सुबह निधन हो गया। चेन्नई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

चेन्नई में इलाजरत झारखंड के शिक्षामंत्री जगरनाथ महतो का निधन, राज्य में दो दिनों का राजकीय शोक


रांची, झाऱखंड

झारखंड के शिक्षा मंत्री (Education Miniester), टाइगर ( Tiger) के नाम से मशहूर अपने इलाके के लोकप्रिय नेता, झारखंड आंदोलनकारी जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahto) का गुरुवार सुबह निधन हो गया। चेन्नई के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। जगन्नाथ महतो गिरिडीह जिला के डुमरी विधानसभा से विधायक थे। कुछ दिन पहले झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के बीच में मंत्री जगरनाथ महतो की तबीयत बिगड़ गयी थी. जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए रांची के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें चेन्नई रेफर कर दिया गया था। शिक्षा मंत्री को एयरलिफ्ट कर चेन्नई ले जाया गया था।

राज्य सरकार ने उनके निधन पर दो दिन (6 व 7 अप्रैल 2023) का राजकीय शोक घोषित किया है। इसके साथ ही बृहस्पतिवार 6 अप्रैल को पूर्व नियोजित कैबिनटे की बैठक टाल दी है, साथ ही पूरे राज्य में अवकाश घोषित किया है। 

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पिछले साल कोरोना पॉजिटिव हुए थे। करीब एक महीने तक रांची में उनके इलाज के बाद उनका इलाज चेन्नई में किया गया, जिस दौरान उनका लंग्स ट्रांसप्लांट किया गया। लंग्स ट्रांसप्लांट के बाद वे करीब 4 महीने तक चेन्नई में इलाजरत रहे। स्वस्थ होने के बाद वे झारखंड वापस आए। झारखंड वापस आने के बाद वे सामान्य रूप से काम कर रहे थे।

विवादों से रहा गहरा नाता, पर लोकप्रियता भी चरम पर

दिवंगत जगरनाथ महतो की क्षेत्र में जबरदस्त लोकप्रियता और पकड़ रही। झारखंड के दिग्गज नेता विनोद बिहारी महतो के साये में राजनीति सीखने वाले झारखंड आंदोलनकारी जगरनाथ महतो पर ढेड़ दर्जन से अधिक केस दर्ज हुए और 10 बार जेल भी गये। अपने क्षेत्र में छोटे मोटे विवाद वो खुद जन अदालत लगाकर निपटा दिया करते थे, यही वजह है कि लोग उनके न्यायप्रिय होने से खुश भी होते तो कुछ नाराज भी। उनके इसी अंदाज और जानदार आवाज की वजह से वो टाइगर के नाम से विख्यात थे। 

राजनीतिक सफर

उनका जन्म 1967 में हुआ था। उनके पिता का नाम नेम नारायण महतो है। परिवार में एक पुत्र व चार पुत्रियां है। राजनीतिक जीवन का सफर यूं तो झारखंड आंदोलन के साथ ही शुरू हो चुका था, लेकिन राजनीतिक शुरूआत वर्ष 2000 में पहली बार समता पार्टी से चुनाव लड़कर हुई। लेकिन इस चुनाव में वो लालचंद महतो से चुनाव हार गये। 2014 और 2019 में उन्होंने जेएमएम के टिकट पर गिरिडीह संसदीय सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन दिल्ली जाने का उनका सपना कभी पूरा नहीं हो सका।

शोक का लगा तांता

दिवंगत आत्मा के शोक प्रकट करने वालों का तांता लग चुका है, जिसमें झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से लेकर तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालीन तक के नाम शामिल हैं। सीएम हेमंत सोरेन ने शोक व्यक्त करते हुए कहा- ‘हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखंड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान जगरनाथ महतो का निधन हो गया। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की की शक्ति दे’।

कोरोना से हारे

चार भाईयों में सबसे बड़े जगरनाथ महतो कोरोना काल में वर्ष 2020 में  लंग्स इंफेक्शन के बाद अस्पताल में भर्ती हुए। नवंबर 2020 में ही चेन्नई अस्पताल में उनका लंग्स ट्रांसप्लांट हुआ। आठ महीने के बाद जून 2021 में वो स्वस्थ होकर वापस लौटे और नियमित रूप से अपने कामकाज में लगे थे। 14 मार्च 2023 को वापस उनकी तबियत खराब हुई और वो चेन्नई एयरलिफ्ट किये गये, लेकिन 6 अप्रैल को उनका निधन हो गया। 

पढ़ाई में थी खास रूचि 
 
झारखंड के शिक्षा मंत्री रह चुके दिवंगत जगरनाथ महतो ना सिर्फ शिक्षा मंत्री थे, बल्कि शिक्षा में उनकी गरही रूचि रही। जगरनाथ महतो के शिक्षा की बात करें तो उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की थी। वह सिर्फ मैट्रिक पास थे।  यह परीक्षा भी उन्होंने 28 साल की उम्र में पास की थी। कई बार उनके इस डिग्री या कम पढ़े लिखे होने को लेकर आलोचनाएं भी होती थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर उनकी पढ़ाई ठीक चली और वे स्वस्थ रहे, तो वे 55 साल की उम्र में इंटर की परीक्षा पास करेंगे। उन्होंने 52 वर्ष की आयु में 11वीं कक्षा में प्रवेश लेकर एक नई मिसाल कायम कर दी थी। बचपन की ग़रीबी और बाद के सालों में झारखंड आंदोलन में सक्रियता के कारण उनकी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी।